|| 300 वर्षों बाद पांच दुर्लभ संयोग || इस वर्ष की चुतुर्थी क्यों है खास ?
|| 300 वर्षों बाद पांच दुर्लभ संयोग || इस वर्ष की चुतुर्थी क्यों है खास ? 31 अगस्त 2022 को गणेश उत्सव प्रारंभ हो रहे हैं। इस दिन भाद्रपद की चतुर्थी तिथि है। इसी दिन गणेशजी का जन्म हुआ था। इस बार गणेश चतुर्थी पर 300 साल पर ऐसे 5 दुर्लभ योग बन रहे हैं कि यदि इस बार घर में गणेशजी की विधिवत पूजा की जाएगी तो भाग्य खुल जाएंगे और गणपतिजी का विशेष आशीर्वाद मिलेगा।
1- वार, तिथि और नक्षत्र का संयोग :- इस वर्ष 31 अगस्त बुधवार को वे सारे योग-संयोग बन रहे हैं, जो गणेश जी के जन्म के समय पर बने थे। जैसे वार बुधवार, तिथि चतुर्थी, नक्षत्र चित्रा और मध्याह्न काल यानी दोपहर का समय। इन्हीं योग संयोग में माता पार्वती ने मिट्टी से गणेशजी को बनाया था। बुधवार गणेशजी का ही वार है। ऐसा संयोग 10 वर्ष पहले बना था।
2- दुर्लभ लंबोदर योग : गणेश उत्सव के 10 दिनों में रोज कोई न कोई शुभ योग बन रहा है और एक ऐसा दुर्लभ योग भी बन रहा है जो पिछले 300 सालों में नहीं बना। इस योग को लंबोदर योग कहा जा रहा है जो कि गुरु ग्रह से बन रहा है जिसे देह स्थूल योग भी कहते हैं। गणेशजी का एक नाम लंबोदर ही है।
3-अन्य दुर्लभ योग : – लंबोदर योग के साथ ही गणपति के जन्म काल के वक्त वीणा, वरिष्ठ, उभयचरी और अमला नाम के राज योग भी बनेंगे।
4- रवि योग :-गणेश चतुर्थी के दिन प्रात: 05:38 से रात्रि 12:12 तक रवियोग रहेगा और इस दिन शुक्ल योग भी रहेगा।
5- ग्रह संयोग :- इस दिन चार ग्रह अपनी स्वराशि में रहेंगे। बृहस्पति मीन में, शनि मकर में, बुध कन्या में और सूर्य सिंह राशि में विराजमान रहकर शुभ योग निर्मित करेंगे।
6- कुल योग :-1.लंबोदर योग (स्थूल योग), 2-वीणा, 3- वरिष्ठ, 4- उभयचरी, 5- अमला, 6- रवियोग, 7-शुक्ल योग, 8- ब्रहमयोग। इसी के साथ वार तथा नक्षत्रों के विशेष संयोजन से बनने वाला 9- कालदण्ड और 10- धूम्र योग भी रहेगा। साथ ही वार, तिथि और नक्षत्र का वह संयोग भी रहेगा जिस संयोग में गणेशजी ने जन्म लिया था।
दैवज्ञ पंडित रमेश शर्मा