कोटा क्षेत्र में अवैध ईंट भट्ठे,का कारोबार जोरों पर, कार्यवाही नहीं होने से संचालकों के हौसले बुलंद।

कोटा क्षेत्र में अवैध ईंट भट्ठे,का कारोबार जोरों पर, कार्यवाही नहीं होने से संचालकों के हौसले बुलंद।
बिलासपुर।कोटा ब्लॉक के सुदूर वनांचल के गांवों में इन दिनों अवैध ईंट भट्ठों की बाढ़ सी आ गई है। जगह-जगह लोग ईंट बनवा रहे हैं और जंगलों का महुआ, जाम, साजा, कउहा के अनमोल पेड़ों को काटा जा रहा है। इसी तरह सागौन के पेड़ को काटकर ईंट पका रहे हैं। वन विभाग द्वारा कोई गश्त ना ही कार्यवाही की जा रही है। क्षेत्र में राजस्व और खनिज विभाग द्वारा अनदेखी के चलते वनांचल के गांवों में सैकड़ों स्थानों पर अवैध ईंट निर्माण धड़ल्ले से जारी है जबकि ईंट बनाने पर्यावरण विभाग से अनुमति लेना जरूरी होता है। बिना अनुमति के ईंट बनाया जा रहा है। कोटा ब्लाक के ग्राम पंचायत भैसाझार , में सुरेश राज व्यक्ति मोंग्राही खार में भारी मात्रा में ईट लेवरो के माध्यम से बनवाया गया है, जहाँ जंगलों का लकड़ी भी आपको ईट भट्ठे के पास देखने को मिल सकता है। इसके अलावा भी कोटा के कई विभिन्न ग्रामों में लगभग 30-40 से ऊपर गांवों में अवैध रूप से ईंट भट्ठा चल रहा है।
अवैध ईंट भट्ठे से पर्यावरण को नुकसान।
अवैध ईंट भट्ठों से पर्यावरण को काफी नुकसान हो रहा है, बल्कि राजस्व एवं जंगल की लकड़ी ,पानी मिट्टी चोरी की, बिजली का जमकर इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके कारण नदी का बहाव की दिशा भी बदल गया है। भू-तल भी गिरता जा रहा है। बताना लाजमी होगा कि अगर जंगल हो या नदी के किनारे गांवों में अवैध ईट भट्ठों का संचालन जोरों पर है जिन पर किसी भी तरह की कोई कार्यवाही नहीं होने से अवैध ईंट संचालकों की मनमानी बढ़ती जा रही हैं।
राजस्व और खनिज विभाग विभाग के अधिकारी द्वारा कोई ठोस कार्यवाही नहीं की जा रही है। कार्यवाही नहीं होने से अवैध ईंट भट्ठों के संचालकों की हौसले बुलंद होते जा रहे हैं, और ईंट भट्टों की संख्या बढ़ते जा रहा है। जंगल से पेड़ों को काटकर ईंट भट्ठों में खपाया जा रहा है। वन विभाग मूक-दर्शक बना हुआ है। चाहे दिन हो या रात पेड़ों को काटकर लाया जा रहा है।
कार्रवाई नहीं होने से अवैध इट भट्ठा संचालकों का हौसले बुलंद।
अवैध ईट भट्ठो के संचालक के खिलाफ कार्रवाई के अभाव में इनकी संख्या बढ़ती जा रही है ईट ठेकेदार ओर खनिज विभाग के अधिकारियों द्वारा नियमों का खुलेआम धज्जिायां उड़ाई जा रही है। ईंट भट्ठे संचालित हो रहे हैं इससे पर्यवरण तो प्रदूषित हो रही है। साथ ही राजस्व विभाग को बहुत ज्यादा हानि हो रहा है। खनिज विभाग अब तक कोई कार्यवाही नहीं की है। ये लोग बढ़े पैमाने पर ईंट निर्माण कर शासकीय व निजी जमीन के खनन करने में लगे हुए हैं। जंगल से मुफ्त की लकड़ी से ईंट पकाया जाता है। प्रति हजार ईंट चार हजार से पांच हजार रुपए में बेंचकर मालामाल हो रहे हैं। बावजूद राजस्व विभाग, खनिज विभाग देखकर कोई कार्यवाही नहीं कर रहे है।
ईंट भट्टा चलाने के नियम।
प्रत्येक गांवों में ईट बनाने का नियम है आबादी से 200 मीटर दूर होना चाहिए। भट्टा, मिट्टी बनने के लिए खनन विभाग की अनुमति जरूरी है। पर्यावरण लाइसेंस व प्रदूषण विभाग से एनओसी जारी होना चाहिए। ईट भट्टा चलाने के लिए जिला पंचायत, प्रदूषण विभाग और पर्यावरण विभाग की अनुमति लेना जरूरी है तय रहता है। प्रदूषण की मानक एक ईट भट्ठे से सामान्यत रूप से 750 एसएमपी तक प्रदूषण होता है।

