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कर्म ही व्यक्ति की सत्य पहचान -मंजू

बिलासपुर टिकरापारा ज्ञान एक शक्ति है इसे बुद्धि में रखने के साथ-साथ समय पर कार्य में लगाना चाहिए नहीं तो वह शक्ति नहीं केवल पॉइन्ट कहा जाएगा। यदि समय निकल जाने के बाद ज्ञान की बातें याद आती हैं तो उसे समझदार नहीं कहा जाएगा। कर्म की श्रेष्ठता ही यही है कि जिस समय जिस शक्ति की आवष्यकता है वह शक्ति हम कार्य में लगाएं। यदि कार्य निकल जाने के बाद यह याद आता है कि मुझे ऐसा करना था तो उन्हें समझदार या ज्ञानवान नहीं कहेंगे। यदि हमें आवश्यकता है सहन करने की और हमने उस समय सामना कर लिया तो स्थिति सुधरने के बजाय बिगड़ जायेगी। मनुष्य की सभी पहचान कर्म द्वारा होती है इसलिए कर्मक्षेत्र, कर्मसंबंध, कर्मेन्द्रिय, कर्मयोग व कर्मभोग जैसे शब्द बने हैं।उक्त बातें ब्रह्माकुमारीज़ टिकरापारा में गुरूवार के दिन ‘कर्म-आत्मा का दर्शन कराने का दर्पण’ विषय पर आयोजित विशेष क्लास में साधकों को संबोधित करते हुए सेवाकेन्द्र प्रभारी ब्रह्माकुमारी मंजू ने कही। आपने परमात्म महावाक्यों के माध्यम से बतलाया कि जब समस्याएं आती हैं तो हमारी परीक्षा हो जाती है कि किस शक्ति को अपना कर हम विजयी बन जाते हैं या किसी शक्ति को धारण न कर पाने के कारण हम हार जाते हैं। और ज्ञान व दृढ़ता की शक्ति से हम सभी शक्तियों को धारण कर सकते हैं।

घर भी एक संगठन जिसके लिए सहन व समाने की शक्ति आवश्यक
दीदी ने बतलाया कि संगठन में सहन शक्ति और समाने की शक्ति की बहुत आवश्यकता होती है। समाज, संस्था व हमारे कार्यक्षेत्र के अतिरिक्त हमारा घyर भी एक संगठन है। जहां इन दोनों शक्तियों की बहुत आवश्यकता है। छोटों को तो झुकना चाहिए लेकिन यदि छोटा न झुक पाए तो बड़ों को झुक जाना चाहिए या फिर तीसरा तरीका है कि थोड़ा छोटे झुक जाएं तो थोड़े बड़े झुक जाएं।नानकराम सिरवानी को दी श्रद्धांजलि
सेवाकेन्द्र से लगभग पन्द्रह वर्षों से जुड़े अनिल सिरवानी के पिता नानकराम सिरवानी के तेरहवीं पर दीदी ने सभी को ध्यान करवाया व उनकी आत्मा के आगे की यात्रा के लिए दुआएं देते हुए श्रद्धांजलि दी गई एवं उनके निमित्त परमात्मा को भोग लगाया गया।

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