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रोजगारमूलक गतिविधियों का केन्द्र बना मोपका गौठान आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होकर समूह की महिलाएं बनी परिवार की धुरी,समूह द्वारा बनाए गए गोकाष्ट एवं गोनाईल की लगातार बढ़ रही है मांग.

रोजगारमूलक गतिविधियों का केन्द्र बना मोपका गौठान
आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होकर समूह की महिलाएं बनी परिवार की धुरी,समूह द्वारा बनाए गए गोकाष्ट एवं गोनाईल की लगातार बढ़ रही है मांग।

बिलासपुर  मोपका गौठान ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए एक आदर्श मल्टीएक्टीविटी सेंटर के रूप में विकसित हो गया है। जहां महिला स्व-सहायता समूह की महिलाएं एक साथ कई गतिविधियां संचालित कर रही हैं। समूह की महिलाएं आर्थिक रूप से मजबूत हो कर अब परिवार की धुरी बन गयी हैं। गौठान संचालन समिति के अलावा यहां 3 महिला स्वसहायता समूह भी आजीविका से जुड़ी गतिविधियों में संलग्न हैं।
12 एकड़ रकबे में फैले इस गौठान में 300 गाय एवं 6 शेड हैं।

यहां पशुओं को पीने के लिये पानी और खाने के लिये पर्याप्त व्यवस्था की गई है। पशुओं को धूप और बरसात से बचाने के लिये सुसज्जित 6 शेड बनाए गए हैं। इस गौठान में 3 महिला स्व-सहायता समूह मां गंगा, मां अन्नपूर्णा एवं मां तुलसी स्व-सहायता समूह हैं, जिसमें कुल 33 महिलाएं कार्यरत हैं। समूह की महिलाओं द्वारा गौकाष्ट बनाया जा रहा है। जिसका उपयोग तोरवा मुक्तिधाम में किया जा रहा है। इससे पर्यावरण को नुकसान भी नहीं होता है। समूह की महिलाओं द्वारा गोनाईल भी बनाया जा रहा है। अब तक 250 लीटर गोनाईल बनाया गया है। जिसकी मांग लगातार बढ़ती जा रही है। इसके अलावा गौठान में गोधन न्याय योजना से खरीदे गये गोबर से वर्मी खाद के साथ-साथ दीये, सजावटी सामान, गमले भी समूह की महिलाओं द्वारा बनाया जा रहा है। दीपावली के दौरान समूह ने गोबर के दीये बेचकर अच्छा-खासा मुनाफा कमाया था।
समूह की महिलाएं अब आर्थिक रूप से स्वावलंबी हो गयी हैं। उनके बनाये उत्पादों की मांग लगातार बढ़ती जा रही है। गौठान बनने से मोपका के लोगों को भी फायदा हुआ है। गांव वाले कहते हैं कि एक ही जगह पर गांव के सभी पशुओं के लिये चारे-पानी की व्यवस्था हो जाने से चरवाहों को अब पशुओं को लेकर दूर-दूर तक नहीं घूमना पड़ता। उन्होंने बताया कि खेतों में लगी फसलों को जानवरों द्वारा चर लेने की समस्या भी गौठान निर्माण से दूर हो गयी है।

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