छत्तीसगढ़समाजिकस्वास्थ्य

अधेड़ लाचार जरूर थे पर उनमें खुद्दारी भी भरी हुई थी-वैभव

अगर ईश्वर मनुष्य बन सकता है तो किसी दिन मनुष्य भी अवश्य ही ईश्वर बनेगा

-स्वामी विवेकानंद

बिलासपुर कोरोना महामारी की दूसरी लहर के चलते हमारे नगर बिलासपुर में लॉकडाउन लगा हुआ है । पर इस महामारी से भी ज्यादा घातक थी लोगों के द्वारा इसे अवसर में बदलना – कुछ लोग एंबुलेंस के नाम पर तो कुछ लोग शव वाहन के नाम पर मरीजों से अधिक पैसा वसूल रहे थे, तो कुछ दवा और इंजेक्शन के नाम पर कालाबाजारी कर रहे थे । क्या इस तरह से की गई कमाई या मुनाफा आपके घर में सुख शांति और समृद्धि लेकर आएगी! खास करके तब जब उस कमाई में किसी की ‘हाय’ जुड़ी हुई हो । इन्हीं सब बातों को सोचते हुए मैं दूध लेने के लिए निकला । दूध ले ही रहा था कि देखा एक अधेड़ तीन तीन बोरिया लिए पैदल चले जा रहे हैं । देखते ही समझ गया कि ये पैदल ही अपने निवास स्थान को जाने निकले हैं । उनके चेहरे की थकान बता रही थी कि यह बड़ी दूर से आ रहे हैं। चेहरे पर लाचारी और बेबसी झलक रही थी । इसी बीच वो अधेड़ रुका और रोड किनारे फेंके गए सड़े गले टमाटर को उठाकर अपने पोटली में रखने लगा । समझते देर नही लगी कि इनके पास खाने को भी कुछ नहीं है । उनकी हालत देखकर मुझे बड़ी चिंता हुई कि पता नहीं ये अपने गंतव्य तक सकुशल पहुंचेंगे भी कि नहीं ? मैं अपने ख्यालों में डूबा ही हुआ था कि तभी वहां एक युवक आया और उस बुजुर्ग से बात करने लगा । उस युवक ने तुरंत ही पास की डेरी से दूध बिस्किट खरीद कर अधेड़ को दिया और नल से पानी लाकर दिया।जलपान करने के बाद बुजुर्ग के चेहरे पर तृप्ति का भाव था।उसके बाद वह युवक रोड में गुजरती पिकअप और डिलीवरी वाहन को रोकने का प्रयास करने लगा।आधे घंटे तक प्रयास करने के बाद भी जब कोई गाड़ी नही रुकी तो वह युवक पुन: अधेड़ के पास आया और रास्ते के खाने के लिए बिस्किट ,ब्रेड और दूध थमा दिया।रास्ते में जरूरत के हिसाब से कुछ पैसे भी दे दिए।वो अधेड़ लाचार जरूर थे पर उनमें खुद्दारी भी भरी हुई थी, वे पैसे लेने को तैयार नहीं थे पर युवक ने बहुत जिद कर उन्हें पैसे पकड़ा दिए।अधेड़ के चेहरे पर कृतज्ञता का भाव था । इस दृश्य ने मेरी चिंता दूर कर दी। अब मुझे पक्का भरोसा हो गया था कि ये अधेड़ सकुशल अपने गंतव्य तक पहुंच जाएंगे क्योंकि रास्ते में कोई ना कोई मनुष्य रूपी ईश्वर इसी तरह इनकी मदद को आगे आएगा। किसी ने ठीक ही कहा है-

यदि जग में ईश्वरता है तो वो मनुष्यता में ही है।

और आप यकीन मानिए किसी जरूरतमंद की ओर बढ़ाया हुआ आपका छोटा सा हाथ भी आपको ईश्वर बना देगा। इसी निवेदन के साथ,,,,,,लेख वैभव।

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