आजादी के बाद से पक्की सड़क बनने के इंतजार में ग्रामीण।
आजादी के बाद से पक्की सड़क बनने के इंतजार में ग्रामीण।
बिलासपुर कोटा । मूलभूत सुविधाओं का विस्तार हो या फिर अन्य कोई समस्याएं आम नागरिकों-ग्रामीणों के लिए इन्हें प्राप्त करना टेढ़ी खीर है। खास परस्पर संपर्क मार्ग की बात हो तो दबंगों-नेताओं के द्वार तक पक्की सड़कें बन जाएंगी लेकिन आम ग्रामीणों को ये सुविधा दशकों बाद भी नहीं मिलेगी। ऐसी ही धारणा इन दिनों कोटा जनपद पंचायत के ग्राम पंचायत करही कछार के आश्रित ग्राम केकराडीह,खोलीपरा व डोंगरीपारा के लोगों में बन चुकी है। आजादी के बाद पिछले 7 दशक से यहां के ग्रामीण सोते-जागते पक्की सड़क की आस लगाए बैठे हैं लेकिन उन्हें ये आज तक नसीब नहीं हुई है।
कोटा से लेकर पंडरापथरा तक प्रधानमंत्री योजना के तहत सड़क निर्मित है। ग्राम पंचायत रतखण्डी के ग्राम बरर से एक मार्ग केकराडीह खोलीपरा की ओर जाता है। ये मार्ग कच्चा होने के साथ-साथ खतरनाक गड्ढेयुक्त भी है। जिस पर गर्मी-ठंड के दिनों में भी आवागमन करना खतरनाक रहता है।साइकिल, बाइक से आने-जाने वाले लोग आए दिन गिरते-पड़ते देखे जाते हैं। वहीं बारिश के दिनों में तो गांव के लोगों का आवागमन पूरी तरह से ठप हो जाता है। बरसाती पानी से अरपा नदी में निर्मित एनीकट डैम के ऊपर से पानी बहने से अपने गांव-घर में ही कैद होकर रह जाते हैं। गांव में ऐसे हालात पिछले 7 दशक से हैं। हालांकि चुनाव दर चुनाव हाथ जोड़कर वोट लेने के लिए यहां पहुंचने वाले जनप्रतिनिधि हर बार ग्रामीणों की इस मांग पर पक्की सड़क बनवाने का वादा करते रहे हैं लेकिन चुनाव जीतने के बाद किसी ने भी यहां पर पक्की सड़क निर्माण की कोई कोशिश नहीं की। ग्रामीणों की मांगों को अनसुना कर दिया जाता रहा। जबकि आसपास के ऐसे भी पंचायत हैं, जहां पर सत्ता-विपक्ष के दबंग नेता-व्यक्ति निवासरत हैं। जिन्होंने अपने प्रभाव के कारण सड़क निर्मित करा ली है। इसे देखकर केकराडीह गांव के लोगों में ये धारणा बैठ गई है कि जिस गांव में वजनदार दबंग नेता रहते हैं, उसी गांव में प्रधानमंत्री योजना समेत अन्य मद से पक्की सड़कों का निर्माण होता है। ग्रामीण बताते हैं कि मात्र तीन किमी के इस कच्चे मार्ग के कारण बीमारों को अस्पताल पहुंचाना तक मुश्किल हो जाता है। बारिश के दिनों में कीचड़ होने व नाले में पानी होने पर यहां एंबुलेंस तक प्रवेश नहीं कर पाती। गंभीर स्थिति में मरीज की जान पर बन आती है। बारिश के दिनों में यहां होने वाली कीचड़ में पैदल चलना तक नामुमकिन है। ग्रामीणों ग्राम पंचायत द्वारा भी पक्की सड़क निर्माण की दिशा में प्रयास न किए जाने से लेकर आक्रोशित हैं। उनका कहना है कि जनप्रतिनिधि सिर्फ अपने स्वार्थ के लिए ही उनके गांव में आते हैं। उनके पास उन्हें देने के लिए सिवाय झूठे आश्वासनों के अलावा और कुछ नहीं है। यहां की कच्ची सड़कें 21वीं सदी के विकास संबंधी दावों को झुठलाते नजर आ रहे हैं। खास परस्पर संपर्क मार्ग की बात हो तो दबंगों-नेताओं के द्वार तक पक्की सड़कें बन जाएंगी लेकिन आम ग्रामीणों को ये सुविधा दशकों बाद भी नहीं मिलेगी। ग्रामीणों के अनुसार देश को स्वतंत्र हुए 76 साल से अधिक हो गया है।बावजूद इसके यहां पर सड़क का निर्माण आज तक नहीं हो सका है। पुरानी पीढ़ी के कई लोग मांग करते-करते परलोकवासी हो गए लेकिन जनप्रतिनिधियों ने आज तक यहां पर पक्की सड़क बनाने की सुध नहीं ली। ग्रामीणों की माने तो पक्की सड़क बनवाने के लिए कई बार जनप्रतिनिधियों से गुहार लगाई गई लेकिन किसी ने भी इस ओर ध्यान नहीं दिया। समस्या को नजरअंदाज करना जारी है। जनप्रतिनिधियों द्वारा किए जाने वाले विकास के दावों औऱ वादों पर भी अब सवाल उठने लगे हैं।