मनरेगा के रोजगार सहायक व अधिकारी कर्मचारियों की हड़ताल पर चले जाने से गांव में तालाब गहरीकरण सहित अन्य काम पड़ा ढप।

बिलासपुर। मनरेगा के रोजगार सहायक व अधिकारी कर्मचारियों की हड़ताल पर चले जाने से गांव में तालाब गहरीकरण सहित अन्य काम ठप पड़ गए हैं। पंजीकृत श्रमिकों को काम नहीं मिल रहा है। इससे श्रमिकों के पास कोई काम नहीं रह गया है। स्थिति ऐसे ही बनी रही तो पंजीकृत श्रमिक भी दूसरे प्रांतों लिए पलायन करने मजबूर हो जाएंगे।नियमितीकरण की मांग को लेकर मनरेगा के रोजगार सहायकों के अलावा जिला व जनपद पंचायत में काम देखने वाले अधिकारी व कर्मचारी भी कामबंद हड़ताल पर हैं। बीते 21 दिनों से कार्यालय जाना छोड़ दिया है और मनरेगा के कामकाज की निगरानी भी नहीं कर रहे हैं। इसके कारण केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना में से एक मनरेगा का काम ग्रामीण इलाकों में ठप पड़ा हुआ है। मार्च से लेकर जून के पहले पखवाड़े में ग्रामीण इलाकों में मनरेगा के जरिए काम होता है। इसमें तालाब गहरीकरण से लेकर सड़कों की मरम्मत व नई सड़क बनाने का काम प्रमुखता के साथ किया जाता है। जिस वक्त काम होना चाहिए उसी दौरान रोजगार सहायक व कर्मचारी हड़ताल पर चले गए हैं। इससे ग्रामीण इलाकों में कामकाज पूरी तरह ठप पड़ गया है।विकास के कार्य भी नहीं हो पा रहे हैं और तालाबों का गहरीकरण जैसे महत्वपूर्ण काम भी स्र्क गया है। गर्मी के दिनों में आमतौर ग्रामीण इलाकों के अधिकांश तालाब सूख जाते हैं। सूखे तालाब के गहरीकरण से बारिश के दिनों में इसमें जल भराव पर्याप्त हो जाता है। इस बार ऐसा होते दिखाई नहीं दे रहा है। आमतौर पर अप्रैल के महीने में मनरेगा के जरिए जिले में श्रमिकों को काम मिलता था। हड़ताल ने सब चौपट कर दिया है। मनरेगा के पंजीकृत श्रमिक घर बैठे हैं। इनके पास काम नहीं रह गया है। बिना काम के बेकार बैठे श्रमिकों के सामने अब संकट की स्थिति बनने लगी है।

