शुभमविहार में 2000 लोगो ने शांतिपूर्ण भोलेनाथ की कृपा अर्जित की,यूक्रेन व रूस के युद्घ रोकने विश्व की शांति के साथ कोरोना से मुक्ति व बिलासपुर की प्रगति के लिए विधिविधान से किया हवन।
सुबह 5 बजे अभिषेक के साथ पूजा अर्चना शुरू हुई।
बिलासपुर | बाबा भोलेनाथ व माता पार्वती के विवाह का उत्सव शिवरात्रि आज पूरे देश मे भक्तिमय वातावरण में सम्पन्न हुआ। बिलासपुर के शुभमविहार स्थित शिवमंदिर की अनोखी सुनियोजित सुव्यवस्था के कारण बिलासपुर के कोने कोने से आज लगभग दो हजार से अधिक लोगों ने शांतिपूर्ण तरीके से भगवान भोलेनाथ को गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी से अभिषेक कर पुष्प व बिल्वपत्रों को अर्पित किया। सबसे विशेष बात यह थी कि ना केवल उपरोक्त समस्त सामग्री शुभमविहार कल्याण समिति ने जनसामान्य को निःशुल्क उपलब्ध करवाया, अपितु आने वाले प्रत्येक भक्तों को लगातार सेब, केला, अंगूर, पपीता, नारियल, पेड़ा का प्रसाद वितरित किया गया।आयोजन को सफल बनाने में शुभमविहार कल्याण समिति के अध्यक्ष आख़िलानन्द पांडेय, बैंकर्स क्लब बिलासपुर के समन्वयक ललित अग्रवाल, पार्षद सुश्री सुनीता मानिकपुरी, न्यायालय कर्मचारी संघ के अध्यक्ष धीरज पलेरिया, वरिष्ठ अधिवक्ता किशोर भादुड़ी,उमेश पांडेय, आकाश शर्मा, दिनेश अवस्थी, सुषमा तिवारी, नरेंद्र गोपाल, आर के सिंह, बी के पांडेय, विनोद जायसवाल, सुरेंद्र तिवारी सहित बड़ी सँख्या में भक्तगण सक्रिय थे।
“पुराणों में, वेदों में और शास्त्रों में भगवान शिव-महाकाल के महात्म्य को प्रतिपादित किया गया है।भगवान शिव हिन्दू संस्कृति के प्रणेता आदिदेव महादेव हैं। हमारी सांस्कृतिक मान्यता के अनुसार 33 करोड़ देवताओं में ‘शिरोमणि’ देव शिव ही हैं। सृष्टि के तीनों लोकों में भगवान शिव एक अलग, अलौकिक शक्ति वाले देव हैं”
भगवान शिव पृथ्वी पर अपने निराकार-साकार रूप में निवास कर रहे हैं। भगवान शिव सर्वव्यापक एवं सर्वशक्तिमान हैं। महाशिवरात्रि पर्व भगवान शिवशंकर के प्रदोष तांडव नृत्य का महापर्व है। शिव प्रलय के पालनहार हैं और प्रलय के गर्भ में ही प्राणी का अंतिम कल्याण सन्निहित है। शिव शब्द का अर्थ है ‘कल्याण’ और ‘रा’ दानार्थक धातु से रात्रि शब्द बना है, तात्पर्य यह कि जो सुख प्रदान करती है, वह रात्रि है।
शिवस्य प्रिया रात्रियस्मिन व्रते अंगत्वेन विहिता तदव्रतं शिवरात्र्याख्याम्।
इस प्रकार शिवरात्रि का अर्थ होता है, वह रात्रि जो आनंद प्रदायिनी है और जिसका शिव के साथ विशेष संबंध है। शिवरात्रि, जो फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को है, उसमें शिव पूजा, उपवास और रात्रि जागरण का प्रावधान है। इस महारात्रि को शिव की पूजा करना सचमुच एक महाव्रत है।
ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति महाशिवरात्रि के व्रत पर भगवान शिव की भक्ति, दर्शन, पूजा, उपवास एवं व्रत नहीं रखता, वह सांसारिक माया, मोह एवं आवागमन के बंधन से हजारों वर्षों तक उलझा रहता है। यह भी कहा गया है कि जो शिवरात्रि पर जागरण करता है, उपवास रखता है और कहीं भी किसी भी शिवजी के मंदिर में जाकर भगवान शिवलिंग के दर्शन करता है, वह जन्म-मरण पुनर्जन्म के बंधन से मुक्ति पा जाता है।
शिवरात्रि के व्रत के बारे में पुराणों में कहा गया है कि इसका फल कभी किसी हालत में भी निरर्थक नहीं जाता है।
शिवरात्रि का व्रत सबसे अधिक बलवान है। भोग और मोक्ष का फलदाता शिवरात्रि का व्रत है। इस व्रत को छोड़कर दूसरा मनुष्यों के लिए हितकारक व्रत नहीं है। यह व्रत सबके लिए धर्म का उत्तम साधन है। निष्काम अथवा सकाम भाव रखने वाले सांसारिक सभी मनुष्य, वर्णों, आश्रमों, स्त्रियों, पुरुषों, बालक-बालिकाओं तथा देवता आदि सभी देहधारियों के लिए शिवरात्रि का यह श्रेष्ठ व्रत हितकारक है।
सुबह से शाम 5.30 बजे तक लगातार हजारों भक्तों की लगी हुई है।लाईन बाबा भोलेनाथ का आशीर्वाद लेने हेतु लगी हैं। महिला मंडली द्वारा भजन जारी हैं। शाम 6.30 बजे से मानस पाठ होगा।आज के आयोजन पर बिलासपुर के कोने कोने से आने वाले भक्तों यथा मोहनलाल अग्रवाल, विजय चावडा, नित्यानंद अग्रवाल, रामप्रताप सिंह, राजेंद्र अग्रवाल आदि ने आयोजकों के कुशल प्रबंधन की प्रंशसा करते हुए कामना की आने वाले समय मे यह बिलासपुर का सबसे बड़ा आयोजन बन जाएगा।शिवरात्रि आयोजन समिति शुभमविहार, बिलासपुर ने समस्त भक्तों का आभार प्रकट किया हैं।
द बिलासा टाइम्स