छत्तीसगढ़बिलासपुर संभाग

बड़ी मुश्किल से किसान कई बीमारियों से तो अपनी धान को बचा लेते हैं पर धान मंडी में कटौती से नहीं बचा पा रहे हैं।

बड़ी मुश्किल से किसान भुरा माहों से तो अपनी धान को बचा लेते हैं पर धान मंडी में कटौती से नहीं बचा पा रहे हैं।

मस्तूरी। प्रदेश में धान खरीदी बड़ी तेजी से चल रही है। कई जगह टोकन कटवाने के लिए किसान लंबी-लंबी कतारों से परेशान हैं तो मस्तूरी क्षेत्र के ऐसे अधिकतर जगहों पर किसानों से अधिक वजन में धान लेने से किसान परेशान हैं। मस्तूरी क्षेत्र के कोई भी धान मंडियों में एक कट्टी में शासन के निर्देशानुसार कितना वजन धान तोड़कर मंडी में लेना है। ऐसा कोई भी स्थान पर बोर्ड या फिर दिवाल लेखन नहीं कराया गया है। प्रबंधकों की लापरवाही के वजह से और हमालो की कमीशन खोरी के कारण भोले भाले किसानों के जेब में खूब डाका डाला जा रहा है। जानकारी के लिए हम आपको बताते चलें कि शासन के निर्देशानुसार प्रत्येक कट्टी पर 40 किलो मानक धान वजन में लेना है । और बोरे (कट्टी)के बदले में दूसरे पलड़ा पर बाट के साथ बोरे ही रखना अनिवार्य है। उसके बावजूद मस्तूरी क्षेत्र के ऐसे कई धान मंडीयां है जहां कहीं 41 किलो की वजन ले रहे हैं तो कहीं 42 किलो वजन से किसानों से धान ले रहे हैं। अब इस धान मंडियों में प्रत्यय कट्टी पर अगर 1 किलो भी धान अधिक लिया जा रहा है तो पूरे सीजन में समस्त किसानों के धान खरीदी के पश्चात पता नहीं कितने कुंटल कितने टन अधिक धान संस्था प्रबंधक को किसानों के जेब से डांका डालकर चढ़ावा में मिलता होगा यह अब विचारणीय है।

वही इस संबंध में सहकारिता सिईओ का बेतुका जवाब मिला है।

धान मंडियों में किसानों से अधिक धान देने के संबंध में जब मस्तूरी सहकारिता विभाग के सीईओ एच एन पुरेना से जानकारी लिया गया तो उनका कहना है कि किसान अपने मन से धान मंडियों में अधिक धान देते हैं क्योंकि कई किसानों का धान रद्द खच या कच्चा किस्म के रहता है इसलिए 500 ग्राम तक के किसान अपने मन से मंडी में अधिक धान देते हैं। साथ ही शासन के निर्देशानुसार सही वजन में धान 40 किलो वजन में लेना है उसके बारे में प्रत्येक धान मंडियों में लेखन करवाने की बात कही है।

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