त्याग और समर्पण का महापर्व छठ पूजा का माँ मरीमाई मंदिर प्रांगण न्यू लोको कॉलोनी(सिरगिट्टी)में हुआ भव्य शुभारंभ।
बिलासपुर-छत्तीसगढ़ के बिलासपुर स्थित माँ मरीमाई मंदिर परिसर न्यू लोको कॉलोनी रेल्वे परिक्षेत्र सिरगिट्टी में भी हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी छठ पूजा महाउत्सव मानाया जा रहा है।मंगलवार शाम खरना एवं दीपदान कार्यक्रम में क्षेत्र के विशिष्ट लोगों की उपस्थिति रही इस दौरान सियाराम कौशिक पुर्व विधायक विधान सभा बिल्हा,श्रीमती अंबालिका साहू श्रम कल्याण मंडल सदस्य छत्तीसगढ़ शासन,नवीन सिंह चीफ मटेरियल मैनेजर रेलवे,अजय यादव MICमेम्बर नगर निगम,पुष्पेन्द्र साहूूूू MIC मेम्बर नगर निगम,सूरज मरकाम पार्षद,पवन साहू वरिष्ठ कांग्रेस सदस्य,दीवान जी, गोविंद यादव,संतोष यादव वरिष्ठ कांग्रेस सदस्य के साथ साथ स्थानीय जनों और समिति के सभी सदस्य उपस्थित रहें।बता दें कि बिहार,झारखंड और यूपी के कई जिलों (पूर्वांचल बेल्ट) के लिए यह त्यौहार का बड़ा महत्व है।इसके साथ देश के अन्य जिलों के साथ बिलासपुर शहर में भी इसे बड़े उत्साह से मनाया जाता है।जानकारी के अनुसार शहर का दुसरा सबसे बड़ा छठघाट माँ मरीमाई मंदिर प्रांगण तालाब है।
यहां लगभग हर साल छठ पूजा के दौरान 20 हजार से अधिक श्रद्धालु छठ पूजा करने आते हैं।जहां ज्यादातर उत्तर भारत के लोग यहां पूजा करने आते हैं। साथ ही इस पर्व के दौरान छत्तीसगढ़ के आमजन भी यहां भारी तादाद में पहुंचते हैं। इस बार भी हर साल के तरह बिलासपुर के मरीमाई मंदिर परिसर के पास बने तालाब में छठपर्व मनाने को घाट तैयार किया गया है। इस दौरान घाट पर विधिविधान से पूजा कर छठ महापर्व मनाया जाता है,स्थानीय लोगों के साथ साथ निगम प्रशासन यहां की सफाई व्यवस्था को सम्हालकर उसे तैयार किया जाता है।यहां हजारो की संख्या में श्रद्धालुओं पहुंचते हैं।इनके आने पर पार्किंग की व्यवस्था बनाने के लिए तालाब के किनारे और आसपास की जगहों को साफ सफाई व्यवस्था की गई है।बता दें कि बिलासपुर में भी आज से इस पर्व को मनाने वाले उत्तर भारतीयों के घरों में नहाय खाय के साथ छठ पर्व की शुरुआत हो चुकी हैं।इधर छठपर्व को मनाने के लिए,श्रद्धालुओं को बेहतर व्यवस्था देने के लिए छठ पूजा समिति के साथ स्थानीय प्रशासन नगर निगम की टीम और पुलिस लगी हुई है।पिछले वर्ष कोरोनाकाल में कार्यक्रम स्थगित हो गया था।इस कारण इस वर्ष श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ने की आसार है।साथ ही साथ घाट पर सभी व्यवस्थाओं को भी दुरूस्त कर लिया गया है।आस पास के इलाक़े में यह बड़ा घाट होने की वजह से यहा मेले जैसा माहौल रहता है।सिरगिट्टी में10/11/2021को डूबते हुए सूर्य को और फिर11/11/2021को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर छठ का विधिवत समापन किया जायेगा।कार्यक्रम
इस त्यौहार में नहाय-खाय के बाद अगले दिन खरना और फिर डूबते व उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रती 36 घंटे के निर्जला उपवास का पारण करते हैं।छठ पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से शुरू होती है।नहाय-खाय इस पूजा का पहला दिन।इस दिन व्रती घर को साफ-सुथरा करके पवित्र करते हैं।इसके अलावा प्रसाद बनाने के लिए रखे सामान को पवित्र स्थान पर रखती हैं।इस दिन सात्विक आहार लिया जाता है।खरना – खरना छठ पूजा का दूसरा दिन होता है.यह कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को होता है. इस दिन व्रत रखा जाता है और व्रती रात को पूजा करने के बाद गुड़ से बनी खीर खाकर 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू करते हैं।इसी दिन छठ पूजा का प्रसाद तैयार किया जाता है।
डूबते सूर्य को अर्घ्य – छठ पर्व का तीसरा दिन बहुत महत्वपूर्ण होता है. इसी दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इस बार डूबते सूर्य को अर्घ्य देने की तारीख 10 नवंबर है।
उगते सूर्य को अर्घ्य – छठ पूजा का यहा अंतिम दिन होता है. इसका निर्धारण कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि के आधार पर ही होता है. इस दिन व्रत रखने वाले उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं. इसके बाद पारण किया जाता है और फिर व्रत पूरा करते हैं।
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