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इंसान के द्वारा उठाया गया यह छोटा कदम मानव सभ्यता के लिए ऊँची छलांग साबित होगा- वैभव

बिलासपुर छत्तीसगढ़  20 जुलाई 1969 को नील आर्मस्ट्रांग ने चांद पर कदम रखते वक्त यह कहा था । आज हम चाँद पर तो कदम रख चुके पर जीवन में कभी कभी परिस्थितियां कुछ ऐसा मोड़ लेती हैं कि घर के बाहर कदम रखना, चांद पर कदम रखने से भी ज्यादा कठिन हो जाता है । तस्वीर में दिख रही महिला का नाम बरनीन बाई है। इन्होंने सारी जिंदगी खून पसीना एक कर पूरे परिवार का पालन पोषण किया पर जब बुढ़ापा आया तो लगवा ने घेर लिया दुबर बर दु आषाढ़ बरनीन बाई की सारी दुनिया सिर्फ एक कमरे में ही सिमट कर रह गई और समस्त दैनिक क्रियाएं खाट पर ही होती । पिछले कई वर्षों से एक छोटा कमरा ही उनकी दुनिया है ,घर के घर के बाहर कदम रखना तो दूर कमरे के बाहर निकलने के बारे में भी वो सोच नहीं सकती।

ऐसे में जब बरनीन को घर के बाहर खुली हवा में कदम रखने का मौका मिला तो ये उनके लिए किसी ऊँची छलांग से कम ना था।बरनीन को व्हीलचेयर उपलब्ध कराया गया और पास ही स्थित मंदिर तक ले जाया गया।बरनीन की आँखों में खुशी के आंसू थे।और मैं धन्यवाद दे रहा था उस अभियंता को जिसने व्हीलचेयर बनाया और उस दानदाता को जिसने बरनीन के लिए व्हीलचेयर दान किया । यह व्हीलचेयर रेणु गौतम ने दान किया था।

आइए हम सब मिलकर इसी तरह नई तकनीक के माध्यम से लोगों तक खुशियाँ पहुँचाते रहें पहुंचाते रहे।

 “द बिलासा टाईम्स”

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