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महापौर चुनाव में भाजपा के दावेदारों के बीच मुकाबला, पूर्व महापौर समेत नए चेहरे भी दिखा रहे हैं दम ।

 

बिलासपुर नगरीय निकाय चुनाव में शहर के महापौर पद के लिए ओबीसी आरक्षण के बाद भाजपा से चार प्रमुख दावेदार सामने आए हैं। इनमें पूर्व महापौर किशोर राय, दक्षिण मंडल अध्यक्ष शैलेन्द्र यादव और दो पार्षद शामिल हैं। अब सवाल यह है कि भाजपा किसे महापौर के लिए चुनेगी। इस बार महापौर का चुनाव सीधे जनता करेगी, जिससे चुनाव में जीत हासिल करना आसान नहीं होगा।

दक्षिण मंडल अध्यक्ष शैलेन्द्र यादव ने कहा, भारतीय जनता पार्टी एक बड़ी पार्टी है, और जिसे महापौर के लिए टिकट मिलेगा, हम सब मिलकर उसे जीताएंगे और शहर सरकार बनाएंगे। प्रदेश में भाजपा की सरकार होने के कारण कार्यकर्ताओं में उत्साह है।

महापौर के प्रमुख दावेदारों में शैलेन्द्र यादव का नाम सबसे पहले आ रहा है। शैलेन्द्र यादव, जिन्होंने छात्रसंघ अध्यक्ष के रूप में राजनीति में कदम रखा और फिर भाजपा दक्षिण मंडल अध्यक्ष बने, अब महापौर पद की रेस में हैं।

इसके अलावा पूर्व महापौर किशोर राय का कार्यकाल भी शहरवासियों के बीच चर्चा का विषय है। किशोर राय ने अपने कार्यकाल के दौरान शहर में कई विकास कार्यों को प्रमुखता दी, लेकिन उनके कार्यकाल में कुछ क्षेत्रों में विकास के मुद्दे भी उभरे थे। इसके अलावा, दो बार पार्षद रहे विजय ताम्रकार और वर्तमान में सरकंडा पार्षद बंधु मौर्य भी महापौर पद के दावेदार हैं।

नए वार्ड के मतदाता बदल सकते हैं समीकरण

इस बार महापौर का चुनाव जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से किया जाएगा, और यह चुनाव बेहद प्रतिस्पर्धात्मक हो सकता है। शहर के 70 वार्डों में से 26 नए हैं, और इन वार्डों में दो लाख से अधिक मतदाता हैं। ये मतदाता महापौर के चुनाव की दिशा तय करेंगे। 15 पंचायतों को नगर निगम में शामिल किया गया है, और इन पंचायतों के विकास पर भी लोगों की नजर होगी।

सीधे चुनाव से बढ़ेगी प्रत्याशियों की जिम्मेदारी

महापौर के चुनाव में पार्षदों का कोई योगदान नहीं होगा, और इस कारण महापौर के प्रत्याशियों को ज्यादा मेहनत करनी होगी। उन्हें मतदाताओं से संपर्क कर अपनी योजनाओं को पेश करना होगा। इससे पहले नगर निगम में शामिल हुए ग्राम पंचायतों में विकास की स्थिति संतोषजनक नहीं रही है, और वहां के लोग उम्मीद कर रहे हैं कि महापौर चुने जाने के बाद विकास कार्य तेज होंगे।

जनता का भरोसा जीतना होगी बड़ी चुनौती

शहर में कुल 4 लाख 93 हजार से अधिक मतदाता अपने मत का उपयोग करेंगे। इसमें अनुसूचित जाति के 77 हजार, अनुसूचित जनजाति के 29 हजार और पिछड़ा वर्ग के 16 हजार से अधिक मतदाता शामिल हैं। परिसीमन के बाद नए 26 वार्डों में कुल 2 लाख 96 हजार मतदाता होंगे, जबकि पुराने 44 वार्डों में 2 लाख 92 हजार 900 मतदाता हैं।

महापौर के चुनाव में जीत के लिए प्रत्याशियों को न केवल पार्टी का समर्थन चाहिए, बल्कि जनता का विश्वास भी जीतना होगा।

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