छत्तीसगढ़

शहीद किसानों के लिए पूरे प्रदेश में श्रद्धांजलि सभाओं का दौर जारी, किसान सभा ने कहा :कृषि कानूनों की वैधता के परीक्षण होने तक इनके अमल पर रोक लगाने की भी मांग की

अ. भा. किसान संघर्ष समन्वय समिति (AIKSCC)

छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन (CGKA)

छत्तीसगढ़ किसान सभा (CGKS)

शहीद किसानों के लिए पूरे प्रदेश में श्रद्धांजलि सभाओं का दौर जारी।छत्तीसगढ़  अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति और संयुक्त किसान मोर्चा के देशव्यापी आह्वान पर छत्तीसगढ़ में भी किसान आंदोलन के शहीदों के लिए सुबह से श्रद्धांजलि सभाओं का दौर जारी है और रात तक ये कार्यक्रम चलेंगे। छत्तीसगढ़ किसान सभा, मआदिवासी एकता महासभा, राजनांदगांव जिला किसान संघ, हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति सहित छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन के विभिन्न घटक संगठनों द्वारा प्रदेश के सरगुजा, सूरजपुर, कोरबा, मरवाही, राजनांदगांव सहित 15 से ज्यादा जिलों के गांव-कस्बों में ये कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं। इन संगठनों द्वारा की गई सभाओं के वीडियो और फोटो भी मीडिया के लिए जारी किए गए हैं। रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, रायगढ़ सहित विभिन्न शहरों में ट्रेड यूनियनों द्वारा भी किसान आंदोलन के साथ एकजुटता व्यक्त करने और शहीद किसानों को श्रद्धांजलि देने के कार्यक्रम आयोजित किये गए हैं। रात को गांवों में शहीदों की याद में मोमबत्ती जुलूस भी निकाले जाएंगे।छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन के सुदेश टीकम, आलोक शुक्ला, आनंद मिश्रा और छत्तीसगढ़ किसान सभा के संजय पराते, ऋषि गुप्ता, नंद कश्यप आदि ने जानकारी दी है कि पूरे प्रदेश में आज गांवों, खेत-खलिहानों और मनरेगा स्थलों पर सभाएं की गई और ग्रामीण जन समुदाय को इन कृषि कानूनों के किसान विरोधी होने, इसका विरोध कर रहे किसान आंदोलन का सरकार द्वारा निर्ममता के साथ दमन करने और अभी तक 35 से ज्यादा किसानों के शहीद होने की जानकारी दी गई। इन सभाओं में किसान आंदोलन के नेताओं ने केंद्र की मोदी सरकार से अपनी हठधर्मिता छोड़ने और सुप्रीम कोर्ट की सलाह के अनुसार इन कानूनों की वैधता का परीक्षण होने तक इनके अमल पर रोक लगाने की भी मांग की।

किसान आंदोलन के नेताओं ने कहा कि चूंकि इन कानूनों को बनाने से पहले किसानों, किसान संगठनों और संसदीय समिति तक से कोई सलाह-मशविरा नहीं किया गया और राज्यसभा में विधेयक पर मतदान की मांग को नजरअंदाज करते हुए गैर-लोकतांत्रिक ढंग से पारित कराया गया है, आम जनता की नजरों में इन कानूनों की कोई वैधता नहीं है और इसे वापस लिया जाना चाहिए। इस किसान आंदोलन में 35 से ज्यादा किसानों की शहादत के लिए  सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए उन्होंने कानूनों की वापसी तक आंदोलन जारी रखने की बात कही है।

प्रदेश में 21 किसान संगठनों के साझे मोर्चे छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन ने जिओ उत्पादों, अम्बानी-अडानी के मॉल्स और पेट्रोल पम्पों का बहिष्कार करने की अपील भी आम जनता से की है। 

(छत्तीसगढ़ किसान आन्दोलन की ओर से सुदेश टीकम, संजय पराते (मो : 094242-31650), आलोक शुक्ला, विजय भाई, रमाकांत बंजारे, नंदकुमार कश्यप, आनंद मिश्रा, जिला किसान संघ (राजनांदगांव), छत्तीसगढ़ किसान सभा, हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति (कोरबा, सरगुजा), किसान संघर्ष समिति (कुरूद), आदिवासी महासभा (बस्तर), दलित-आदिवासी मजदूर संगठन (रायगढ़), दलित-आदिवासी मंच (सोनाखान), भारत जन आन्दोलन, गाँव गणराज्य अभियान (सरगुजा), आदिवासी जन वन अधिकार मंच (कांकेर), पेंड्रावन जलाशय बचाओ किसान संघर्ष समिति (बंगोली, रायपुर), उद्योग प्रभावित किसान संघ (बलौदाबाजार), रिछारिया केम्पेन, आदिवासी एकता महासभा (आदिवासी अधिकार राष्ट्रीय मंच), छत्तीसगढ़ प्रदेश किसान सभा, छत्तीसगढ़ किसान महासभा, परलकोट किसान कल्याण संघ, अखिल भारतीय किसान-खेत मजदूर संगठन, वनाधिकार संघर्ष समिति (धमतरी), आंचलिक किसान संघ (सरिया) आदि संगठनों की ओर से जारी संयुक्त विज्ञप्ति)

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