छत्तीसगढ़बिलासपुर संभाग

गौठान निर्माण भ्रष्टाचार के बाद ,गोधन न्याय योजना की शिकायत की सौंपी गई जांच रिपोर्ट बनी चर्चा का विषय।

 

संवाददाता -मनमोहन सिंह।

 

खैरा-  कोटा जनपद पंचायत अंतर्गत ग्राम पंचायत खैरा में किसानों की खुशहाली के लिए बनाई गई गोधन या योजना मैं एक ही घर से प्रतिदिन लगभग 10 क्विंटल गोबर खरीदने की शिकायत के बाद अग्रिम कार्रवाई के लिए उच्च अधिकारियों को भेजी गई जांच रिपोर्ट को लेकर सवाल उठने लगा है।शासकीय योजनाओं के क्रियान्वयन में भ्रष्टाचार के खिलाफ की गई जाँच की जानकारी ना तो शिकायतकर्ता को दी गई और ना ही ग्रामीणों को हुई। राज्य शासन की महत्वकांक्षी योजना नरवा गरवा घुरवा बाड़ी के तहत प्रदेश सरकार गौठान में क्रियान्वयन हो रही गोधन न्याय योजना की शिकायत के बाद जांच अधिकारियों द्वारा सौंपी गई जांच रिपोर्ट को लेकर विभागीय अधिकारी अब विवादों में घिरते हुए नजर आ रही है।जिला पंचायत बिलासपुर के मुख्य कार्यपालन अधिकारी के निर्देश पर मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत कोटा व कार्यक्रम अधिकारी (मनरेगा) की संयुक्त टीम ने जांच कर बताया की कोटा विकासखंड के ग्राम पंचायत खैरा में संचालित गौठान में दो बैलों के पशुपालक से 6400 किलो गोबर क्रय किये जाने सम्बन्धी जानकारी निराधार पाई गई है। जांच अधिकारियों ने पाया कि ग्राम पंचायत खैरा का गौठान ग्राम से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर है। इससे वहां के पशुपालकों को गोबर बेचने में समस्या उत्पन्न हो रही थी। इसे देखते हुए गौठान समिति के अध्यक्ष कृष्ण कुमार साहू व अन्य सदस्यों ने विचार विमर्श कर निर्णय लिया कि ग्राम के अन्य 10 पशुपालक जो स्वयं गोबर नहीं बेच पा रहे हैं उनसे गोबर क्रय कर लिया जाये और ट्रांसपोर्टेशन शुल्क 0.25 रूपये प्रति किलो काटकर शेष 1.75 रुपये किलो की दर से उन्हें भुगतान किया जाये। इस प्रकार उक्त गोबर की मात्रा दो बैलों की नहीं है। जांचकर्ता अधिकारियों ने पशु पालकों से क्रय किये गये गोबर स्टाक रजिस्टर का हिसाब सही पाया है। मामले की जांच रिपोर्ट कोटा जनपद सीईओ ने जिला पंचायत सीईओ को सौंप दी है। विभागीय अधिकारीयों अपनी किरकिरी होते देख आनन-फानन में सौंपी गई जांच रिपोर्ट को लेकर एक बार फिर विभागों की जगह पर चर्चा का विषय बनी हुई है।

  • सवालो के दायरे में जनपद सीईओ की जांच रिपोर्ट।

 

जनपद पंचायत द्वारा भेजी गई जांच रिपोर्ट आब सवालों के कटघरे में खड़े हुए नज़र आ रही है।क्योकि ग्राम पंचायत खैरा का गौठान ग्राम से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर नही बल्कि लगभग 200 मीटर की दूरी पर स्थित है। जब अन्य हितग्राही गौठान में जाकर गोबर बेच सकते हैं तो केवल 10 पशुपालकों को ही क्यों गोबर बेचने में समस्या उत्पन्न हो रही थी। इन पशुपालकों के पास बड़ी मात्रा में गोबर उपलब्ध हो रही है तो उन्होंने अपना स्वयं का गोबर बिक्री करने अब तक खाता क्यो नही खुलवाया। आखिर कौन है ये पशुपालक जो केवल एक सप्ताह ही गोबर बेचने के बाद नदारद हो गए।क्या महज एक ही सप्ताह में उनकी गोधन न्याय योजना से मोह भंग हो गया।

  • राममुरारी जायसवाल शिकायतकर्ता।

 

गोधन न्याय योजना में भ्रष्टाचार की शिकायत पर जांच कब हुई और किसने की मुझे इसकी कोई जानकारी नहीं है। जांच के संबंध में मुझे ना तो कोई जानकारी मिली और ना ही कोई नोटिस दिया गया। उच्च अधिकारी भ्रष्टाचार की लीपापोती कर निष्पक्ष जांच करने की बजाय सिफारिश करने में लगे हुए हैं।

 

  • रिमनसिंह परियोजना अधिकारी।

खैरा का लॉट कौन गांव से दूर है इसलिए वहां तक लोग नहीं गए होंगे।चूंकि ये पहले शुरुआती दौर में हुआ है इसलिए अध्यक्ष ने खरीद लिया होगा। यह कोई गंभीर और बड़ा मामला नहीं है। गंभीर मामला क्या पता जब भुगतान ज्यादा का होता और संगठन में गोबर पूरा मिलता लेकिन वहां गोबर पूरा है।

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